१. इंद्र धनुष चाहिए तो बारिश भी झेलिए।
२. हर तर्क का जन्म अज्ञानता से होता है।
३. बोरियत,जरुरत और दुर्गुण से बचने के लिए खुद को व्यस्त रखिए।
४. जो बहाने बना लेते है। वे कुछ और नहीं बना पाते।
५. हमारी कोशिशो का फूल उपलिब्ध के रुप में खिलता है।
६. जीवन दूध की तरह है, जितना मथेंगे उतना मक्खन निकलेगा।
७. पुरानी यादों को मुस्कुराहटों से याद रखें, आंसुओं से नहीं।
८. आलसियों के पास अगले दिन के लिए ढेरो काम होते है।
९. जुबान तलवार से भी गहरा घाव करती है। संभल कर उपयोग करें।
१०. ज्यादा गरम होने पर दिमाग और मशीन दोनों बंद हो जाते है।
११. सलाह देने के आदी लोगों से कभी सलाह नहीं लेना चाहिए।
१२. जब विरोधी गलती कर रहा हो तो उसे टोंके नहीं।
१३. सरल भाषा लिखना सबसे ज्यादा कठिन है।
१४. नम्रता के सुमन में नम्रता का सौरभ ही शोभा पाता है।
१५. परिश्रमी मनुष्य की सहायता करने के लिए प्रकृति भी बाध्य है।
१६. सब कुछ लूट जाने के बाद भी भविष्य बाकी रहता है।
१७. केवल मनुष्य ही रोता हुआ जन्मता है, शिकायतें करता हुआ जीता है और निराश मरता है।
१८. दृढ प्रतिज्ञ मनुष्य संसार को अपनी इच्छा के अनुसार झुका लेता है।
१९. एक कष्ट के बाद दूसरे कष्ट आते है और समृद्धि के बाद समृद्धि आती है।
२०. यदि मनुष्य सीखना चाहे तो हर भूल कुछ ना कुछ शिक्षा देती है।
२१. सर्वोत्तम मनुष्य वे हैं, जो अवसर को अपना दास बना लेते है।
२२. मुश्किलें औजार है, जिनसे ईश्वर हमें बेहतर कामों के लिए तैयार करता है।
२३. संकट उपस्थित होने पर भी जिसकी बुद्धि विचलित नहीं होती, वह कार्य में सफल हो जाता है।
२४. आप फूलों को तो नष्ट कर सकते हैं लेकिन बसंत को आने से नहीं रोक सकते।
२५. समय की रेत पर कदमों के निशान बैठकर नहीं बनाए जा सकते।
२६. गंभीर परिस्थितियां ही आदमी का एक और विद्यालय है।
२७. आदमी का दिमाग नर्क को स्वर्ग में और स्वर्ग को नर्क में परिवर्तित कर सकता है।
२८. निराशा से जीवन के बहुमूल्य तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसमें विजय के बहुत से अवसर खो जाते है।
२९. निराशावादी हर अवसर में कठिनाई देखता है, आशावादी हर कठिनाई में अवसर देखता है।
३०. निराशा का गहरा धक्का मस्तिष्क को वैसा ही शून्य बना देता है, जैसे लकवा शरीर को।
No comments:
Post a Comment