Saturday, November 16, 2013

आंसुओं से भीगा सचिन का आखिरी भाषण

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ARTICLE FROM NAV BHARAT TIMES DOT INDIATIMEDOTCOM

नवभारत टाइम्स से साभार
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सचिन के लिए यह आखिरी मैच प्रेजेंटेशन था। और इस प्रेजेंटेशन का एक-एक लम्हा जज्बात से भरा हुआ था। इमोशंस उफन रहे थे। दर्शकों, खिलाड़ियों, कॉमेंटेटर्स सभी की आंखों में आंसू थे। ट्रॉफियां बंटने के रवि शास्त्री ने सचिन से कहा, अब यह माइक आपका हुआ। और सचिन के हाथ में माइक आते ही पूरा स्टेडियम उनके नाम से गूंजने लगा। शोर इतना ज्यादा था कि सचिन को कहना पड़ा, शांत हो जाओ नहीं तो मैं और भावुक हो जाऊंगा। 

फिर सचिन बोलने लगे। और उनकी एक-क लाइन पर तालियां बज रही थीं। उनकी पहली ही लाइन सब कुछ कह गई। वह बोले - पिछले 24 साल मेरी जिंदगी 22 गज में सिमटी रही।
 

सचिन एक लिस्ट लेकर आए थे। उन्होंने कहा कि मैं सबके नाम लिखकर लाया हूं ताकि किसी को भूल न जाऊं। उन्होंने सबसे पहले अपने पिता सचिन रमेश तेंदुलकर का नाम लिया। सचिन बोले, 'उनके निर्देशन के बिना मैं आपके सामने इस वक्त न खड़ा होता। 11 साल की उम्र में उन्होंने मुझे कहा कि अपने सपनों का पीछा करो। जब भी मैंने कुछ खास किया और अपना बल्ला हवा में उठाया, यह उन्हीं के लिए था।'
 

फिर सचिन ने अपनी मां को याद किया। वह बोले, 'मुझे संभालना आसान नहीं था। उन्होंने मेरे जैसे शरारती बच्चे को कैसे संभाला होगा! उन्हें हर वक्त मेरी सेहत की फिक्र रहती। हर वक्त इस बात का ध्यान रखा। जिस दिन से मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया, उन्होंने मेरे लिए प्रार्थना शुरू कर दी। उन्हीं की दुआओं से मैं यहां तक पहुंचा।' 

फिर सचिन ने एक ऐसी बात बताई, जो शायद अब तक लोगों को नहीं पता थी। उन्होंने कहा, 'स्कूल के दिनों में मैं चार साल तक अपने अंकल आंटी के पास रहा क्योंकि मेरा घर स्कूल से दूर था। मेरे अंकल-आंटी ने मेरे लिए बहुत मेहनत की। मेरी आंटी सुबह-सुबह उठकर मुझे खाना देती थीं और प्रैक्टिस पर भेजती थीं। उन्होंने मेरे लिए बहुत मेहनत की, मुझे अपना बेटा समझा। मैं उनका शुक्रिया किए बिना नहीं रह सकता।'
 

सचिन ने अपने भाई-बहनों को याद किया। सचिन बोले, 'मेरे भाई नितिन और बहन सविता ने मुझे सब कुछ दिया। सविता ने मुझे जिंदगी का सबसे पहला बैट दिया था, जहां से यह यात्रा शुरू हुई। जब भी मैं बैटिंग करता हूं वह आज तक भी व्रत रखती हैं।'
 

यह कहते-कहते सचिन का गला भर आया। इतना कि उन्हें पानी पीना पड़ा। और फिर अजित तेंदुलकर का जिक्र आया। वह बोले, 'मेरे भाई ने मेरे लिए अपना करियर बलिदान कर दिया। उनके बारे में मैं क्या कहूं! रात मैं जब उनसे बात कर रहा था तो हमें पता था कि अब बैटिंग का चांस नहीं मिलेगा। वह तब भी मेरी टेक्निक के बारे में बात कर रहे थे। मैं नहीं खेल रहा हूंगा, तब भी यही सब होगा। वह न होते तो मैं कमतर क्रिकेटर होता।'
 

और सचिन फिर भावकु हो गए...कैमरा दर्शकों पर गया। लगभग सभी आंखें भीगी हुई थीं। कुछ लोग तो फूट-फूट कर रो रहे थे। और इस सबके बीच एक और रोता हुआ चेहरा नजर आया, सचिन की पत्नी अंजलि का। तब सचिन उन्हीं के बारे में बता रहे थे। उन्होंने कहा, '1990 में मेरे साथ सबसे खूबसूरत बात हुई, जब मैं अंजलि से मिला। वे खास साल थे। अंजलि डॉक्टर हैं। उनके सामने शानदार करियर था। जब हमने परिवार बढ़ाने के बारे में सोचा तो अंजलि पीछे हटीं और बोलीं कि तुम क्रिकेट में आगे बढ़ो, मैं परिवार संभालूंगी।'
 

यह सुनकर अंजलि फफकने लगीं...और बहुत से दर्शक भी।
 

सचिन रुके नहीं, बोले जा रहे थे, 'उन्होंने मुझे बहुत सहा है। अंजलि, तुम मेरी लाइफ की बेस्ट पार्टनरशिप थीं।'
 

सचिन के बच्चे सारा और अर्जुन अंजलि के साथ ही खड़े थे। उनका जिक्र आया तो वे भी भावुक हो गए। लेकिन सारा शायद ज्यादा स्ट्रॉन्ग हैं। वे खुद को संभाले रहीं, जबकि सचिन अर्जुन की आंखें भर आई थीं। सचिन बोले, 'वे बड़े हो गए हैं। मेरे बेटी 16 साल की है और बेटा 14 का। मैं उनके साथ बहुत बिताना चाहता था। उनके बर्थडे, स्पोर्ट्स डे वगैरह को मैंने बहुत मिस किया। शुक्रिया कि तुमने समझा। तुम दोनों मेरे लिए बहुत स्पेशल हो। तुम सोच भी नहीं सकते कितना। बस अब, आने वाले साल तुम्हारे हैं।'
 

सचिन ने अपने सास-ससुर का जिक्र किया। अपने बचपन के दोस्तों के साथ और समर्थन को याद किया। उन्होंने कहा, 'वे ऐसे दोस्त थे जो अपना काम छोड़कर मुझे बॉल डालने लगते थे। जब भी मुझे लगा कि चोटों की वजह से मेरा करियर खत्म हो रहा था, तब उन्होंने मुझे यकीन दिलाया कि मेरा करियर अभी खत्म नहीं हुआ।'
 

और फिर सचिन उस शख्स पर आए, जिन्होंने सचिन को सचिन तेंदुलकर बनाया। उनके कोच रमाकांत आचरेकर। सचिन ने कहा, '11 साल की उम्र में मेरा करियार शुरू हुआ। लेकिन मेरे करियर का टर्निंग पॉइंट था जब मेरा भाई मुझे आचरेकर सर के पास लेकर गया। कल उन्हें स्टैंड्स में देखना मेरे लिए गर्व की बात थी। पहले तो वह बस टीवी पर ही मुझे देखते थे। लेकिन कल वह आए। सर मुझे अपने स्कूटर पर मुंबई के एक मैदान से दूसरे मैदान तक ले जाते थे, ताकि मेरी ज्यादा से ज्यादा मैच प्रैक्टिस हो सके। लेकिन एक बात है। पिछले 29 साल में उन्होंने मुझे कभी वेल प्लेड नहीं कहा। उन्हें डर था कि मैं ज्यादा ही खुश न हो जाऊं और मेहनत करना न छोड़ दूं। सर, अब आप मुझे कह सकते हैं, वेल प्लेड सचिन। अब कोई मैच नहीं बचा है।'
 

फिर सचिन ने उस मैदान को, मुंबई क्रिकेट असोसिएशन, बीसीसीआई, अपने सिलेक्टर्स, सीनियर्स, साथी खिलाड़ियों राहुल द्रविड़, लक्ष्मण, सौरभ गांगुली, अनिल कुंबले, अपने पहले मैनेजर मार्क मस्ट्रेनर्स, सारे कोच, डॉक्टर्स, फिजियो और सपोर्ट स्टाफ का शुक्रिया किया। ऐसा लग रहा था कि सचिन किसी को भूलना नहीं चाहते थे। उन्होंने मीडिया और फोटोग्राफर्स को धन्यवाद कहा।
 

और फिर सचिन बोले, 'मेरी स्पीच लंबी हो रही है...बस आखिरी बात।' उनका इतना कहना था कि पूरा स्टेडियम गूंज पड़ा जैसे कह रहा हो, सचिन मत जाओ। कुछ देर हवा में सिर्फ शोर था और सब सन्न थे। और फिर सचिन की आखिरी लाइंस आईँ। बेशक, यह आपके लिए थीं। उन फैन्स के लिए, जिन्होंने सचिन को सचिन बनाया। सचिन बोले, 'मैं पूरी दुनिया से आए आप लोगों का शुक्रिया करना चाहता हूं। आपका सपोर्ट मेरे लिए बेशकीमती है। लोग मेरे लिए व्रत रखते हैं, प्रार्थना करते हैं। उनके बिना वक्त ऐसा नहीं होता। वक्त बहुत जल्दी बीत गया लेकिन ये यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगे। और एक बात जो मेरे जहन में हमेशा गूंजती रहेगी, वह है... सचिन...सचिन...यह आखिरी सांस तक मेरे जहन में गूंजता रहेगा...गुड बाय।'
 

सचिन चले गए, और लोग चिल्लाते रहे...सचिन...सचिन..


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